क्या यह न्याय है ?

जिस केस में कोई भी प्रत्यक्ष साक्ष्य न हो उस केस में आरोपकीं का बयान तभी सही माना जायेगा जब वह स्टर्लिंग विटनेस हो यानी उसके बयान में कहीं भी कोई विरोधाभास न हो। – सुप्रीम कोर्ट

लेकिन संत श्री आशारामजी बापू पर आरोप लगानेवाली महिलाओं के बयानों में कितना विरोधाभास है, यह समाज के सामने है। ऐसे विरोधाभासी बयानों के आधार पर बिना किसी सबूत के भारत के एक संत, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सनातन संस्कृति की सेवा में एवं देश-हित के कार्यों में समर्पित कर दिया, उनको आजीवन कारावास की सजा देना… क्या यह न्याय है ? न्याय का दोहरा मापदंड… केरल के बिशप फ्रेंको मुलक्कल आरोप: नन के साथ 13 बार रेप करने का आरोप बेल : 26 दिन तक जेल, उसके बाद बेल पर रहते हुए निर्दोष बरी दीपक चौरसिया और अन्य पत्रकार आरोप : आशारामजी बापू को बदनाम करने के लिए नाबालिग बच्ची के विडियो को तोड़-मरोड़कर दिखाया, POCSO के तहत मामला दर्ज, आज तक गिरफ्तारी नहीं एक्टर पर्ल वी. पुरी आरोप : POCSO एक्ट के तहत नाबालिग से रेप का मामला बेल : मात्र 11 दिन में गायत्री प्रजापति आरोप : गैंगरेप केस बेल : POCSO के बावजूद, स्वास्थ्य कारणों पर बेल राज कुंद्रा आरोप: अश्लील फिल्म बनाने और उसे अपने एप पर रिलीज करने के मामले में गिरफ्तार बेल : मात्र 2 महीने में तरुण तेजपाल आरोप : रेप बेल : मात्र 8 महीने में

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