Health Issue

2013
ट्राइगेमिनल न्यूराल्जिया, साइटिक न्यूराल्जिया, हायपोथायराइडिज्म
2015
प्रोस्टेटिक हायपोप्लासिया, अर्थराइटिस ग्रेड 4, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस
2016
प्रोस्टेटाइटिस, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, कार्पल टनल सिंड्रोम
2021 फरवरी
एक्सटूट कोरोनरी सिंड्रोम एनजाइना, सिस्टाइटिस, माइल्ड हेपेटिक स्टेओटाइटिस
2021 मई
सीवियर COVID संक्रमण, आंतों से रक्तस्राव, हीमोग्लोबिन 3.7
2021 जून
हायड्रोनेफ्रोसिस, हायपोनैट्रेमिया, पोस्ट COVID कॉम्प्लिकेशन डिस्ट्रेस्ड यूनियन ब्लेंड, प्रोस्टेटोगैली, यूरोसेप्सिस NO RELIEF
2021 नवंबर
यकृत (liver) की विकृति, पीलिया, गुर्दों (kidneys) की कार्यक्षमता में क्षति NO RELIEF
2023 नवंबर
हार्ट अटैक, कोरोनरी आर्टरी डिसीज, एंजियोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार हृदय की 3 धमनीयों में गंभीर ब्लॉकेज (99%, 90% और 80-85%), उच्च रक्तचाप, खून की कमी, डायबिटीज NO RELIEF
2023 दिसंबर
लगातार गिरते हुए तापमान से दूसरा हार्ट अटैक, ठंड से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं NO RELIEF
2024
जोधपुर की 8°C की भयंकर ठंड और 48°C की आग उगलती गर्मी... दोनों ही हृदय रोगियों के लिए घातक हैं फिर भी नहीं मिली जमानत!
2024 जनवरी-फरवरी
एक्सटूट कोरोनरी सिंड्रोम, तीसरा हार्ट अटैक, बुनियादी आपातकालीन उपचार मिलने में घंटों का विलंब NO RELIEF
2024 मई
48°C तापमान से गंभीर डिहाइड्रेशन के कारण बी.पी. गिरकर छाती में तीव्र पीड़ा NO RELIEF

मानवाधिकारों का सतत अतिक्रमण

प्रतिकूल परिस्थितियों से स्वास्थ्य में गिरावट

87 वर्ष की इस वयोवृद्ध अवस्था में उनके शरीर को कितनी ही बीमारियों ने घेर लिया है। फरवरी 2024 में करवाई एंजियोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार बापूजी के हृदय में 3 ब्लॉकेज पाए गए हैं।

जजमेंट

आरोपी के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं।

सजा का आधार

सजा का आधार मात्र आरोपकर्ता का विरोधाभासी बयान।

12 वर्षों में

एक दिन भी न बेल, न पैरोल, न फर्लो।

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Person in wheelchair

* 87 वर्ष की आयु, दीर्घकाल का कारावास, आपातकालीन उपचार मिलने में घंटों का विलंब, जोधपुर की अत्यधिक गर्मी और अतिशय ठंडे वातावरण का इस उम्र में शरीर पर होनेवाला विपरीत परिणाम, अनुकूल उपचार का अभाव... इन सबसे स्थिति अत्यधिक गंभीर होती जा रही है। * वर्ष 2021 में कोरोना के गंभीर दुष्परिणामों से ICU में कई दिनों तक जूझने के बाद भी बापूजी को बेल देने की अपेक्षा वापस उसी जेल में भेज दिया गया था जो जेल उस समय COVID इन्फेक्शन का हॉटस्पॉट बना हुआ था । * कारावास से पूर्व बापूजी की ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी, जो सबसे ज्यादा दर्दनाक मानी जाती है, वह भी अनुकूल उपचार द्वारा नियंत्रित थी पर कारावास में वर्षों तक उचित उपचार न मिलने एवं तापमान के अत्यधिक उतार-चढ़ाव से वह अनियंत्रित होती गयी और आज तो पराकाष्ठा पर है। इतनी बीमारियाँ होने के बावजूद बापूजी द्वारा अपनी इच्छानुसार अपना इलाज कराने के लिए आज तक लगायी गीं सभी अर्जियाँ अदालतों द्वारा खारिज कर दी गयी हैं! क्या ऐसी कोई न्यायनीति नहीं जो 12 वर्षों (जेल परिहारानुसार) से कारागृह में बंद 87 वर्षीय निर्दोष संत आशारामजी बापू को राहत दिला सके ? 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने तो जेल में सजा काटनेवालों के संदर्भ में स्पष्ट शब्दों में कहा थाः 'खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरती जानी चाहिए। व्यक्ति की सेहत ठीक रहे यह सबसे जरूरी है। उसकी सेहत से संबंधित समस्याओं का राज्य सरकार ध्यान रखे, न्यायपालिका को भी इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए।'

यह हर नागरिक का ऐसा संवेदनशील मौलिक अधिकार है जिसे किसी भी परिस्थिति में नकारा नहीं जा सकता। अन्याय के विरुद्ध देशभर में जनाक्रोश लेकिन Mainstream मीडिया द्वारा No Coverage मार्च-अप्रैल 2024 मीडिया और सरकार की चुप्पी से यह स्पष्ट है कि जनता को वास्तविकता से वंचित रखा जा रहा है।

Person in wheelchair